फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
महकाओ तन-मन सारा भावों को विमल कर लो
वो मालिक सबका हैं ,जिस माली का हैं ये चमन
वो रहता सबमे हैं तुम ,कर लो उसी का मनन
हो जाये सुवासित जीवन ऐसा तो जातां कर लो
फूलों से होलो तुम............................................
शुभ कर्मों की पौध लगाओ जीवन के उपवन में
देखो प्रभु को सबमे वो रहता हैं कण-कण में
बन जाओ प्रभु के प्यारे ऐसा तो करम कर लो
फूलों से होलो तुम...........................................
मै कोन?कहाँ से आया ? कर लो इसका चिंतन
जग में रह कर के ,उस दाता से लगा लो लगन
रह कर के कीचड़ में खुद को कमल कर लो
फूलों से होलो तुम..........................................
वो दाता सबका हैं, दुरजन हो या सूजन
वो पिता सबका हैं, धनवान हो या निरधन
ललित उसमे लगा करके जीवन को सफल कर लो
फूलों से होलो तुम ............................................
ललित शर्मा
ललित वाणी से गीत कविता
(फोटो गूगल से साभार)