शनिवार, 31 अक्तूबर 2009

महर्षि चरक एवं चरक संहिता 23-यवागू पेय

गतांक से आगे.............
पिप्पली पिप्पलीमूळ च्वयाचित्रकेनागरै:
यवागुर्दोंपनीया स्याच्छुलघ्निम चोपसाधिता (१८)
अर्थात- दधित्य (कैथ), बिल्व (बेलगिरी), चान्गेरी( चूका), तक्र(छाछ), दाडिम (अनारदाना) इन औषधियों के योग से तैयार की हुई यवागू भोजन को पचाने वाली, और ग्राहणी अर्थात दस्तों को बंद करने वाली होती है. अधिक खट्टी ना हो इसलिए छाछ में पानी मिला देना चाहिए.
जारी है................

1 टिप्पणियाँ:

परमजीत सिहँ बाली on 31 अक्तूबर 2009 को 10:38 pm बजे ने कहा…

आभार।

 

एक खुराक यहाँ भी

चिट्ठों का दवाखाना

चिट्ठाजगत

हवा ले

www.blogvani.com

Blogroll

Site Info

Text

ललित वाणी Copyright © 2009 WoodMag is Designed by Ipietoon for Free Blogger Template