गतांक से आगे..............
आलेपनार्थे युज्यन्ते स्नेहस्वेदविधौ तथा.
अधोभागोर्ध्वभागेषु निरुहेष्वनुवासने (९०)
अभ्यअंजने भोजनार्थे शिरसश्च विरेचने.
शस्त्रकर्मेणि बस्त्यर्थम अंज्नोत्सादनेशु च. (९१)
लवणों के विषय में चर्चा.
पॉँच लवण- सौन्चल (सौन्चल, काला नमक) सैन्धव (सेंधा नमक) विड लवण, औद्भिद लवण (रह) और समुद्र. जो समुद्र के जल से प्राप्त होता है.और(सम्बह्र) यह पॉँच प्रकार के नमक है.
पृकृति एवं उपयोग-ये पांचो नमक स्निग्ध (चिकने), उष्ण (गर्म) तीक्ष्ण (तीखे), और दीप्नीयातम अर्थात मन्दाग्नि को खूब चमकाने वाले हैं. इनका उपयोंग लेप करने, शरीर के उपर एवं नीची के भागों में स्नेहन, और स्वेदन अर्थात पसीना लेने, निरुह अर्थात रुक्ष वस्ती लेने, और अनुवासन अर्थात स्निग्धा वस्ति लेने, अभ्यन्जं (मालिश) करने में, भोजन में, शिर के विरेचन अर्थात नस्य लेने में, शस्त्र कर्म (चीरफाड़ चिकित्सा) में, वर्ति (वत्ती बना कर गुदा आदि भागों में रखने) में अन्जन्वत आँख में लगाने, तथा उत्पादन अर्थात उबटना में , और अजीर्ण (कब्ज) आनाह (अफरा) वात (वाय का रोग), शूल (पेट दर्द) और उदर रोग में होता है. इस प्रकार लवणों का उपदेश किया गया है.
सैन्धव (सेंधा नमक) यह सबसे उत्तम है, "सैन्धवं लवणानाम" ऐसा प्रधानतम अधिकार में कहा गया है. सौवर्चल या सौंचल सबसे अधिक रुचिकर है. औद्भिद औक्वारिका लवण है. इसको काच लवण भी कहते हैं. चक्रपाणी इसे "सांभर" नमक बतलाते हैं. और समुद्री नमक को "करकच" कहा है. यह समुद्र से आता है.
जारी है.............................
मंगलवार, 13 अक्टूबर 2009
महर्षि चरक एवं चरक संहिता-१० लवण क्या हैं?
Author: ब्लॉ.ललित शर्मा
| Posted at: 9:30 am |
Filed Under:
"चरक-संहिता" "ललित-वाणी"
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2 टिप्पणियाँ:
sendha solt is very good for health against sea solt.
कृपया १) बीड लवण २) संचल खार और ३) धायटी का हिन्दी में प्रचलित नाम बतायें।
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