गतांक से आगे.............
पिप्पली पिप्पलीमूळ च्वयाचित्रकेनागरै:
यवागुर्दोंपनीया स्याच्छुलघ्निम चोपसाधिता (१८)
अर्थात- दधित्य (कैथ), बिल्व (बेलगिरी), चान्गेरी( चूका), तक्र(छाछ), दाडिम (अनारदाना) इन औषधियों के योग से तैयार की हुई यवागू भोजन को पचाने वाली, और ग्राहणी अर्थात दस्तों को बंद करने वाली होती है. अधिक खट्टी ना हो इसलिए छाछ में पानी मिला देना चाहिए.
जारी है................
शनिवार, 31 अक्टूबर 2009
महर्षि चरक एवं चरक संहिता 23-यवागू पेय
Author: ब्लॉ.ललित शर्मा
| Posted at: 5:50 pm |
Filed Under:
चरक एवं चरक संहिता
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